‘भारत रत्न’ डॉ. राजेंद्र प्रसाद
('Bharat Ratna' Dr. Rajendra Prasad)
(3 दिसम्बर 1884 - 28 फ़रवरी 1963)
उपनाम : 'राजेन्द्र बाबू' तथा ‘देश रत्न ’।
भारत के प्रथम राष्ट्रपति एवं महान स्वतंत्रता सेनानी डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म बिहार के तत्कालीन सारण जिले (वर्तमान में सीवान) के जीरादेई गाँव में हुआ था।
शैक्षिक सम्बद्धता : कलकत्ता विश्वविद्यालय।
राजनीतिक दल : भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस।
कार्य व पद :-
•1934 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुंबई अधिवेशन में अध्यक्ष चुने गए।
•1939 में नेताजी सुभाषचंद्र बोस के अध्यक्ष पद से त्यागपत्र देने पर कांग्रेस अध्यक्ष का पुन: पदभार सँभाला।
•भारतीय संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
•वर्ष 1946 व 1947 : भारत के प्रथम मंत्रिमंडल में कृषि और खाद्यमंत्री का दायित्व संभाला।
सम्मान व उपलब्धियां :-
•26 जनवरी 1950 से 14 मई 1962 : भारत के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में कार्यकाल।
•दो कार्यकाल पूरा करने वाले एकमात्र राष्ट्रपति।
•1962 - 'भारतरत्न ' की सर्वश्रेष्ठ उपाधि से नवाजा गया।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका :-
•बतौर वक़ील के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत से ही आंदोलन में सक्रिय भूमिका में आए।
•चम्पारण में गान्धीजी का साथ दिया।
•1921 में उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय के सीनेटर का पदत्याग कर दिया इसके सिवा आजादी की लड़ाई में कारावास की सजा भी भुगती।
प्रभाव : राजेन्द्र बाबू महात्मा गाँधी की निष्ठा, समर्पण व साहस से बहुत प्रभावित थे।
एक लेखक के तौर पर :-
•अपनी आत्मकथा के अलावा 'बापू के कदमों में बाबू', 'इंडिया डिवाइडेड', 'सत्याग्रह ऐट चम्पारण', 'गांधीजी की देन' और 'भारतीय संस्कृति व खादी का अर्थशास्त्र' पुस्तकें लिखी।
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