google.com, pub-1480548673532614, DIRECT, f08c47fec0942fa0 google.com, pub-1480548673532614, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Kabu Education : अमेरिका- विश्व में लोकतंत्र का ज्ञान देने वाले खुद कैसे हुए बदनाम?(America - How did the people who gave knowledge of democracy in the world notoriety?)

अमेरिका- विश्व में लोकतंत्र का ज्ञान देने वाले खुद कैसे हुए बदनाम?(America - How did the people who gave knowledge of democracy in the world notoriety?)


 अमेरिका- विश्व में लोकतंत्र का ज्ञान देने वाले खुद कैसे हुए बदनाम?

(America - How did the people who gave knowledge of democracy in the world notoriety?)



हिंसक विदाई से उठते सवाल:-

  • अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पहचान सिरफिरे व्यक्ति के रूप में जरूर थी, पर यह भी लगता था कि उनके पास भी मर्यादा की कोई न कोई रेखा होगी। उनकी विदाई कटुता भरी होगी, इसका भी आभास था, पर वह ऐसी हिंसक होगी, इसका अनुमान नहीं था। हालांकि ऐसा कहा जा रहा था कि वे हटने से इनकार कर सकते हैं। उन्हें हटाने के लिए सेना लगानी होगी वगैरह, पर लोगों को इस बात पर विश्वास नहीं होता था।


  • बहरहाल वैसा भी नहीं हुआ, पर उनके कार्यकाल के कुछ दिन और बाकी हैं। 



➢इन कुछ दिनों में क्या कुछ और अजब-गजब होगा? 


➢क्या ट्रंप को महाभियोग के रास्ते निकाला जाएगा? 


➢क्या संविधान के 25वें संशोधन के तहत कार्रवाई की जा सकेगी? 


➢क्या उन पर मुकदमा चलाया जा सकता है? 


➢क्या उनकी गिरफ्तारी संभव है? 


👉ऐसे कई सवाल सामने हैं, जिनका जवाब समय ही देगा। आज कहा जा सकता है कि अमेरिकी लोकतांत्रिक संस्थाएं दुखद स्थिति पर नियंत्रण पाने में असफल हुईं।



महाभियोग संभव:-

  • एक अनुमान है कि ट्रंप ने लोगों को इसलिए उकसाया, क्योंकि वे राष्ट्रपति पद का 2024 का चुनाव भी लड़ना चाहते हैं। महाभियोग लगाकर हटाया गया, तो अगला चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित हो जाएंगे, पर महाभियोग के लिए सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी का समर्थन चाहिए, जो फिलहाल संभव नहीं लगता। अमेरिकी राष्ट्रपति को 'सेल्फ पार्डन' का अधिकार भी है। क्या डोनाल्ड ट्रंप उसका इस्तेमाल करेंगे? गत 6 जनवरी को अमेरिकी संसद पर ट्रंप समर्थकों ने इस मांग के साथ धावा बोला था कि ट्रंप की पराजय को खारिज करो पर संसद ने जो बाइडेन के चुनाव पर अपनी मोहर लगा दी। 


  • इस सत्र की अध्यक्षता ट्रंप के उपराष्ट्रपति माइक पेंस कर रहे थे। उन्होंने ही संसद के भीतर ट्रंप समर्थकों की आपत्तियों को नामंजूर किया। इस प्रसंग में ट्रंप की पार्टी के सीनेटरों ने उनका विरोध किया। आखिर में ट्रंप ने हार मानी, पर उन्होंने यह भी कहा है कि राष्ट्रपति के पद-ग्रहण कार्यक्रम में मैं शामिल नहीं होऊंगा।



लोकतंत्र की जीत:-

  • बेशक अमेरिकी लोकतंत्र आदर्श-प्रणाली नहीं है। उसमें तमाम खामियां हैं, पर जनता के जिस भरोसे का नाम लोकतंत्र है, उसकी जीत हुई। अराजकता पर व्यवस्था ने विजय पाई। रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटरों और उपराष्ट्रपति माइक पेंस की भूमिका पर ध्यान दीजिए। उन्होंने व्यक्तिगत और पार्टी के हितों को त्यागकर देश के हितों को महत्वपूर्ण माना। इसके अलावा हमें अमेरिकी न्याय-व्यवस्था पर भी ध्यान देना चाहिए। ट्रंप ने नीचे से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक 60 आपत्तियां दर्ज कराईं, पर अदालतों ने केवल एक को छोड़ किसी आपत्ति को नहीं माना। वस्तुतः इन बातों का आभास पिछले साल ही था। एमहर्ट कॉलेज के प्रोफेसर लॉरेंस डगलस की किताब है, 'विल ही गो?' उन्होंने ऐसे सिनारियो का जिक्र किया, जिसमें ट्रंप हार गए हैं और हटने को तैयार नहीं है। इस किताब में भी उस संवैधानिक अराजकता की कल्पना की गई थी, जो ट्रंप के चुनाव से जुड़ी है। लॉरेंस को लगता था कि अमेरिका की संवैधानिक व्यवस्था ऐसे क्षणों के लिए तैयार नहीं है। उन्हें लगता था कि जैसे रूस के चेर्नोबिल एटमी हादसे के पीछे संयंत्र का संरचनात्मक दोष था, अमेरिकी व्यवस्था में ऐसी स्थिति से निपटने का मुद्दा ही नहीं है।



अंदेशा था:-

  • इन सवालों को कानून और राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर रिचर्ड हैसेन ने भी अपनी किताब 'इलेक्शन मैल्टडाउनः डर्टी ट्रिक्स, डिस्ट्रस्ट एंड द धैट टू अमेरिकन डेमोक्रेसी' में उठाया था। उन्होंने चेतावनी दी थी कि चुनाव में दंदफंदों की भरमार होगी। वोटरों को भ्रमित करने, डराने, चुनाव मशीनरी को प्रभावित करने का अंदेशा है और विदेशी हस्तक्षेप का खतरा। 2016 के चुनावों में ऐसा हुआ है और इस बार अंदेशा पहले से ज्यादा है।


  • अमेरिका में सत्ता का हस्तांतरण अभी तक सदाशयता से होता रहा है। हारने वाला प्रत्याशी परिणाम घोषित होने के पहले ही जीतने वाले को बधाई दे देता है। जब पिछले साल ट्रंप केस सामने यह बात रखी गई, तो उन्होंने कहा, हार गया, तो चुपचाप हट जाऊंगा, पर उन्होंने इस बार की हार में तकनीकी खामियां निकाली हैं। संशयी-संसार को पता था कि दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र में घटना होने वाली है। 'सफल लोकतंत्र' सिर के बल खड़ा होने वाला है। ऐसा सांविधानिक संकट जिसका हल संभव न हो।
  • अमेरिकी चुनाव प्रणाली पेचीदा है, जिसमें तमाम छिद्र हैं। राज्यों के पास कई प्रकार के अधिकार हैं। चुनाव के लिए ताकतवर और स्वतंत्र चुनाव आयोग भी नहीं है। देश में रंग-भेद और जाति-भेद की भावनाएं खत्म नहीं हुईं हैं। कैपिटल हिल पर धावा बोलने वाले बहुत से लोगों के हाथों में कॉन्फेडरेट ध्वज थे, जो खासतौर से दक्षिण के राज्यों में प्रचलित 'व्हाइट सुप्रीमेसी' की भावना को व्यक्त करते हैं। अमेरिका में सामाजिक आधार पर जो ध्रुवीकरण हो रहा है, वह चिंता का विषय है। यह सामाजिक विभाजन खत्म नहीं हो जाएगा, बल्कि अंदेशा है कि बढ़ेगा। नए राष्ट्रपति जो बाइडेन के सामने बड़ी चुनौती उस सामाजिक टकराव को रोकने की है, जो अब शुरू होगा।



एंटी-सोशल मीडिया:-

  • टकराव के इस दौर को भड़काने में जिस बात ने बड़ी भूमिका निभाई है, उसकी तरफ भी देखना चाहिए। वह है सोशल मीडिया, जिसे अब एंटी-सोशल मीडिया कहा जा रहा है। 


  • ट्विटर ने घोषणा की है कि उसने डोनाल्ड ट्रंप के खाते को 'हिंसा और भड़कने के जोखिम' के कारण स्थायी रूप से निलंबित कर दिया है। इसके बाद ट्रंप की टीम ने उनके आधिकारिक ट्विटर हैंडल पोटस पर ट्वीट किए जिसके बाद ट्विटर ने उस पर भी रोक लगा दी। जिसके बाद ट्विटर ने टीम ट्रंप के ट्विटर हैंडल को भी बंद कर दिया है। ट्रंप का हैंडल बंद हो गया, पर सवाल खत्म नहीं हुए हैं। सन 2016 में जब डोनाल्ड ट्रंप चुनाव जीते थे, तब कहा गया था कि वोटरों को भड़काने में फेसबुक की भूमिका थी। इस पर मार्क जुकरबर्ग ने लम्बी सफाई दी थी। इस बार कैपिटल हिल पर हमले के पीछे सोशल मीडिया का हाथ साफ नजर आता है। भले ही फेसबुक, ट्विटर, स्नैपचैट और ट्विच जैसे प्लेटफॉर्मों ने ट्रंप के खाते बंद कर दिए हैं, पर दुनियाभर में लाखों-करोड़ों खातों पर रोक कैसे लगेगी? सवाल केवल ट्रंप की हार या जीत का नहीं है।

1 टिप्पणी:

Please do not enter any spam link in the comment box

AvdHesH MeEnA

महाराष्ट्र में INS गुलदार के इर्द-गिर्द बनेगा भारत का पहला अंडरवाटर म्यूजियम(India's first underwater museum to be built around INS Guldar in Maharashtra)

  महाराष्ट्र में INS गुलदार के इर्द-गिर्द बनेगा भारत का पहला अंडरवाटर म्यूजियम (India's first underwater museum to be built around INS G...