google.com, pub-1480548673532614, DIRECT, f08c47fec0942fa0 google.com, pub-1480548673532614, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Kabu Education : क्या अमेरिका में सत्ता पलटने से बढ़ेगी ताईवान की समस्या(Will Taiwan's problem increase with the reversal of power in America)

क्या अमेरिका में सत्ता पलटने से बढ़ेगी ताईवान की समस्या(Will Taiwan's problem increase with the reversal of power in America)


क्या अमेरिका में सत्ता पलटने से बढ़ेगी ताईवान की समस्या

(Will Taiwan's problem increase with the reversal of power in America)




क्या अमेरिका में सत्ता पलटने से बढ़ेगी ताईवान की समस्या?

✔️ अमेरिकी कांग्रेस द्वारा निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन की विजय को औपचारिक रूप से प्रमाणित किए जाने से कुछ ही दिनों पहले, विदेश सचिव माइक पोम्पियो ने ताइवान से संबंधित लंबे समय से चले आ रहे प्रतिबंधों को हटा लिया था। ये स्वतः लागू किए गए प्रतिबंध, जो चीनी सरकार को खुश करने के लिए दशकों पूर्व लागू किए गए थे उन्हें 9 जनवरी को पोम्पियो ने निरस्त घोषित कर दिया। 


✔️ इसके फलस्वरूप अमेरिकी पदाधिकारियों को समान आधार पर ताइवान के समकक्षों के साथ बर्ताव करने की अनुमति प्राप्त हो गई जिनके साथ वे अन्य देशों के पदाधिकारियों के माध्यम से संपर्क साधते थे। यद्यपि ताजा घटना ने अमेरिका-ताइवान संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है, फिर भी यह देखना बाकी है कि बाइडेन रुझान का अनुसरण करते हैं।


✔️ कुछ विशेषज्ञों, राजनयिकों एवं आम लोग अनुमान लगा रहे हैं कि बाइडेन प्रशासन अमेरिका ताइवान रिश्तों को पीछे डालकर चीन के पक्ष में काम करेगा। उनकी आशंकाएं अकारण नहीं हैं, क्योंकि वे बिडेन द्वारा 2001 में अमेरिकी सीनेट में दिए गए बयान का हवाला देते हैं जब उन्होंने कहा था, "वाशिंगटन ताइवान द्वारा स्वतंत्रता की एकतरफा घोषणा को लेकर युद्ध करने के पक्ष में नहीं है।" हालांकि, कुछ एकाकी बयानों के आधार पर उनकी विदेश नीति को लेकर मत निर्धारित करना अनुचित होगा। 


✔️ यह याद करना समीचीन होगा कि बाइडेन ने 1979 में ताइवान रिलेशन एक्ट का समर्थन किया था। 2020 में भी वो ताइवानी राष्ट्रपति साई इंग-वेन के पनः निर्वाचित होने पर उन्हें बधाई देने वाले पहले वैश्विक नेताओं में से एक थे और उन्होंने कहा था : "आप अपने स्वतंत्र एवं खुले समाज के कारण मजबूत हैं। अमेरिका को ताइवान तथा समान विचार वाले अन्य लोकतंत्रों के साथ रिश्ते मजबूत करना जारी रखना चाहिए।" 


✔️ बिडेन ने निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के अधीन ताइवान को हथियार एवं रक्षा उपकरण मुहैसा कराने संबंधी अमेरिकी विधायनों का भी समर्थन किया था।


✔️ हमें यह भी दिमाग में रखना चाहिए कि बाइडेन ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान चीन के विरुद्ध कड़े शब्दों का प्रयोग किया था। उन्होंने साम्यवादी देश को ठग की संज्ञा दी थी और ट्रंप पर चीन के प्रति नरम रुख अपनाने का आरोप भी लगाया था। बाद में एक पत्रिका में छपे लेख में बिडेन ने कहा : “हम एक प्रशांत शक्ति हैं और हम अपनी साझी समृद्धि, सुरक्षा और मूल्यों को एशिया-प्रशांत क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए अपने मित्रों व सहयोगियों के साथ खड़े रहेंगे और उसमें ताइवान के साथ रिश्ते गहरे बनाना भी शामिल है।" 


✔️ बाइडेन द्वारा की गई कुछ नियुक्तियों को निश्चित रूप से पूर्व एशियाई देशों के लिए एक अच्छे संकेत के तौर पर देखा जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, विदेश सचिव नामित किए गए एंटोनी ब्लिंकेन ने ताइवानी राजनयिकों से बातचीत की और एक ट्वीट में, ब्लिंकेन ने उल्लेख किया कि, “अमेरिका और ताइवान के बीच मजबूत आर्थिक रिश्ते हमारे साझा आर्थिक मूल्यों तथा क्षेत्रीय शांति एवं सिथरता के प्रति हमारी साझा प्रतिबद्धता में सहायक होंगे।"


✔️ एक स्वतंत्र देश तथा ऊर्जावान लोकतंत्र के तौर पर ताइवान का अस्तित्व भी विविध कारणों से अमेरिका के हित में है। पहले है दक्षिण चीन सागर में ताइवान की भू-रणनीतिक स्थिति बीजिंग को समुद्री व्यापार मार्गों पर वर्चस्व कायम करने से रोकती है। ताइवान पर चीन के नियंत्रण से बीजिंग को दक्षिण चीन सागर पर प्रभूत्व कायम करने का साहस प्राप्त हो जाएगा ओ अंतत: इससे पूर्वी, दक्षिणपूर्वी एशिया और अमेरिका के लिए गंभीर खतरा पैदा होगा। 


✔️ चीन फिलीपींस, वियतनाम और क्षेत्र के कुछ अन्य देशों के खिलाफ आक्रामक ढंग से अपने भू-क्षेत्रीय दावों पर जोर दे सकता है। ताइवान दुनिया की अग्रणी निर्यात आधारित अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। ताइवान का चीन के अधीन हो जाना बीजिंग की साम्राज्यवादी प्रवृत्ति को बढ़ावा देगा। राजनयिक स्तर पर, ताइवान लगातार आक्रामक होते चीन से निबटने के लिए अमेरिका द्वारा मोलभाव का बड़े माध्यम के तौर पर काम करता है। जबकि वाशिंगटन में कैपिटल हिल पर हालिया हमले ने दुनिया के कछ देशों को हतप्रभ कर दिया है, स्वतंत्र देश के तौर पर ताइवान का न होना लोकतंत्र के विचार के लिए बड़ा झटका होगा।


✔️ ताइवान चीन के शिकंजे से मुक्त एक मजबूत आपूर्ति श्रृंखला के उदय में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। हालांकि ताइवान प्रशांत द्वीपों के पदाधिकारियों के लिए नेतत्व पाठ्यक्रम संचालित करता है, शेष दुनिया को समय से इसकी चिकित्सा सहायता और कोविड-19 के प्रसार को नियंत्रित करने में इसकी सफलता ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का दिल जीत लिया है। लेकिन ताइवान निश्चित रूप से बहुत मददगार हो सकता था यदि वह विश्वस्वास्थ्य संगठन का सदस्य होता।


✔️ अमेरिका को ताइवान के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए पहल करनी चाहिए, जो अंतत: अन्य देशों को भी उसके साथ आर्थिक रिश्तों को संस्थागत रूप देने के लिए प्रेरित करेगी। यह प्रक्रिया अंततः न केवल चीन पर ताइवान की आर्थिक निर्भरता को कम करेगी बल्कि यह ताइवान को क्षेत्रीय एवं वैश्विक आर्थिक समूहों से एकीकृत भी करेगी। 


✔️ अमेरिका को ताइवान को चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता में शामिल करने के लिए भी पहल करनी चाहिए। चूंकि पूर्वी एशियाई देश ने भारत के साथ पहले से ही मजबूत रिश्ते बना रखे हैं, जापान ने ताइवान की स्वतंत्रता के प्रति चिंता जाहिर की है और आस्ट्रेलिया एक दादागीरी प्रवृत्ति वाले चीन का यामना कर रहा है, वाशिंगटन इस समूहन में ताइवान को भूमिका दिलाने के साधन खोज निकाल सकता है। यद्यपि बाइडेन प्रशासन के लिए द्विपक्षीय संबंधों के संवेग को बनाए रखना तर्कसंगत हो गया है, समय बताएगा कि यह संक्रामक स्थिति प्रत्याशित बदलाव में परिणित होती है या नहीं।

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