जोधपुर स्थापना दिवस
(Jodhpur Foundation Day)
"पधारो म्हारे देश"
सूर्यनगरी जोधपुर रा स्थापना दिवस री थां सगळा ने घणी-घणी शुभकामनावां सा।
जोधपुर रो समृद्ध इतिहास अर मीठी बोली घणी निराळी है सा।
◆ राजस्थान के जोधपुर जिले की 12 मई,1459 को स्थापना हुई थी। जोधपुर शहर की नींव राव जोधा द्वारा रखी गयी थी । जोधपुर ऐतिहासिक रजवाड़े की राजधानी भी हुआ करता था।
◆ इसी दिन को जोधपुर के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है। जोधपुर शहर थार के रेगिस्तान के बीच बसा एक लोकप्रिय शहर है जो अपने पुराने दुर्ग एवं अपने पर्यटक स्थलों के लिए जाना जाता है। जोधपुर के मेहरानगढ़ किले के चारों तरफ बने हजारों नीले मकानों के कारण जोधपुर को नीली नगरी भी कहा जाता है। जोधपुर की उत्कृष्ट हस्तकलाएं, लोक नृत्य, संगीत, पहनावा देखकर आपका मंत्र मुग्ध हो जाएंगे।
★ पढ़ते हैं जोधपुर और जोधपुर शहर से जुड़े कुछ तथ्यों के बारे में-
◆ जोधपुर आज, 12 मई, 2021 को अपना 563वाँ स्थापना दिवस मना रहा है।
◆ जोधपुर स्थापना दिवस का समारोह शहर के सभी प्रमुख इलाको में पारंपरिक कलाकारों द्वारा वाद्य और लोक नृत्य प्रस्तुत करके किया जाता है। विशेष चिकित्सा शिविर का आयोजन, मारवाड़ रत्न और अन्य पुरस्कार वितरण कर के भी जोधपुर शहर में यह दिवस मनाया जाता है।
◆ जब 1459 में राठौड़ वंश के राजपूत शासक राव जोधा ने जोधपुर की नींव रखी थी, वह उस समय मंडोर के तत्कालीन शासक भी थे, उन्होंने जोधपुर शहर के आसपास के क्षेत्रों पर विजय प्राप्त कर के जोधपुर एवं मारवाड़ राज्य की स्थापना की।
◆ पचपदरा में रिफाइनरी की स्थापना के बाद जोधपुर अपनी अर्थव्यवस्था एक बड़े शहर की गति से बढ़ाएगा क्योंकि रिफाइनरी जोधपुर से केवल 60 किलोमीटर दूर है और इससे निकलने वाले by-प्रोडक्ट्स की संख्या 120 से अधिक होगी जो निकायों के लिए एक तोहफे जैसी होगी । यह परियोजना हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) द्वारा बनाई गई है।
◆ शहर और यहाँ के लोग आधुनिकीकरण की गति के साथ बहुत अच्छी तरह से बढ़ रहे हैं, अपने इतिहास, संस्कृति और मूल्यों को अपने दिल के करीब रखते हुए एक ही समय में बरकरार रख कर यह शहर आगे की दिशा चुन रहा है । कुल मिलाकर जोधपुर शहर और यहां के लोगों के पास 563 वें जोधपुर स्थापन दिवस के रूप में मनाने के लिए बहुत कुछ है, लेकिन इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण शहर में किसी भी उत्सव को मानने पर रोक लगाई गई है।
◆ जोधपुर में "अतिथि देवो भवः" की भावनाओं के साथ सभी का "पधारो म्हारे देश" बोलकर स्वागत किया जाता है।
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