बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय
(Bankim Chandra Chattopadhyay)
(27 जून 1838 - 8 अप्रैल 1894)
भारत के राष्ट्रीय गीत 'वन्दे मातरम्' के रचयिता बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय या बंकिमचन्द्र चटर्जी का जन्म चौबीस परगना के कंठालपाड़ा, नैहाटी (बंगाल) में एक परंपरागत व समृद्ध परिवार में हुआ था। बंगाली के प्रख्यात उपन्यासकार, कवि, गद्यकार व पत्रकार तथा रवीन्द्रनाथ ठाकुर के आदर्श बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय भारत के एलेक्जेंडर ड्युमस भी माने जाते हैं।
शिक्षा व कार्य :-
• वर्ष 1857 में बंकिमचंद्र कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज से स्नातक करने वाले पहले भारतीय थे। 1869 में कानून की डिग्री लेने के बाद डिप्टी मजिस्ट्रेट के पद पर नियुक्त हुए। वर्ष 1872 में मासिक पत्रिका बंगदर्शन का प्रकाशन किया।
'वन्दे मातरम्' गीत की प्रेरणा :-
• ब्रिटिश हुक्मरानों द्वारा ब्रिटेन के राष्ट्र गीत ‘God! Save the Queen’ को भारत के हर समारोह में गाना अनिवार्य करने से आहत बंकिमचंद्र ने वर्ष 1875-76 में 'वन्दे मातरम्' गीत लिखा जिसे बाद में आनंदमठ नामक उपन्यास में शामिल किया गया। यह देशभक्ति गीत कांग्रेस के प्रांतीय तथा 1905 में आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन में गाया गया। यही गीत भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में क्रान्तिकारियों के लिए प्रेरणास्रोत बनता चला गया।
रचनाएँ व उपन्यास :-
• उनकी पहली रचना अंग्रेजी में प्रकाशित ‘राजमोहन्स वाइफ’ थी तो पहली बांग्ला कृति 1865 में छपी 'दुर्गेशनंदिनी' थी। उनके दूसरे उपन्यास कपालकुंडला (1866) को उनकी सर्वाधिक रूमानी रचनाओं में से एक माना जाता है।
• बंगदर्शन पत्रिका में उन्होंने विषवृक्ष (1873) उपन्यास का क्रमिक रूप से प्रकाशन किया। चटर्जी का अंतिम उपन्यास सीताराम (1886) है। अन्य में कृष्णकांतेर दफ्तर, मृणालिनी, इंदिरा, राधारानी, देवी चौधरानी, मोचीराम गौरेर जीवनचरित, आनंदमठ इत्यादि शामिल है।
• चटर्जी की कविताएं ‘ललिता ओ मानस’ नामक संग्रह में प्रकाशित हुई थी। उन्होंने धर्म, सामाजिक व समसामायिक मुद्दों पर आधारित कई निबंध भी लिखे हैं।
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