google.com, pub-1480548673532614, DIRECT, f08c47fec0942fa0 google.com, pub-1480548673532614, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Kabu Education : बर्ड फ्लू (Avian flu) Part -2

बर्ड फ्लू (Avian flu) Part -2


बर्ड फ्लू (Avian flu) Part -2




कोरोना के बाद एक और बुखार, कितना घातक?

✔️ कोविड-19 का खतरा अभी बना ही हुआ है कि देश में बर्ड फ्लू ने दहशत और बढ़ा दी है। इस बीच, कई राज्यों से पक्षियों की मौत के मामले सामने आए हैं।


✔️ पक्षियों की अचानक से होने वाली मौत से हर तरफ भय का माहौल है। इसे देखते हुए केंद्र और राज्य सरकारों ने कई एहतियाती कदम उठाए हैं। बर्ड फ्लू भी सामान्य फ्लू की ही तरह होता है। यह बीमारी “एवियन इन्फ्लू एंजा' विषाणु (एच5एन1) की वजह से होती है। 


✔️ यह विषाणु पक्षियों के अलावा इंसानों को भी शिकार बना सकता है। बर्ड फ्लू का संक्रमण मुर्गा, मोर और बत्तख जैसे पक्षियों में तेजी से फैलता है। बर्ड फ्लू का मुख्य कारण पक्षियों को ही माना जाता है। हालांकि कई बार यह इंसान से इंसान को भी हो जाता है। ‘एवियन इन्फ्लूएंजा' के शिकार इंसान पर मौत का खतरा भी होता है। इंसान से इंसान में बर्ड फ्लू के संक्रमण का जोखिम कम है, पर पक्षियों के संपर्क में न आएं।


जानलेवा बीमारी:-

✔️ विश्व स्वास्थ्य संगठन के अलावा दुनिया भर के स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यह बहुत खतरनाक बीमारी है। इसमें संक्रमितों की मृत्यु दर 60 फीसद तक है, यानी हर दस में से 5-6 लोगों की जान जाती है। बर्ड फ्लू के अब तक 11 विषाणुओं का पता चला है। 


✔️ इन जानलेवा विषाणुओं को ‘हाईली पैथोजेनिक एवियन इंफ्लूएंजा' (एचपीएआइ) कहा जाता है। इनमें सबसे खतरनाक एच5एन1 विषाणु है। यही पहला बर्ड फ्लू विषाणु था, जिसने इंसानों को भी संक्रमित किया। 


✔️ दुनिया भर में जंगली पक्षियों की आंतों में ये विषाणु होते हैं, लेकिन आमतौर पर ये पक्षी उनसे बीमार नहीं होते हैं। हालांकि, बर्ड फ्लू मुर्गों और बत्तखों समेत कुछ पक्षियों को बीमार बना सकता है, जिससे उनकी जान भी जा सकती है। ऐसी ही स्थिति इन दिनों कई जगहों पर है।



पहला मामला:-

✔️ एच5एन1 से पहली बार मनुष्य के संक्रमण होने की घटना ज्यादा पुरानी नहीं है। इसका पहला मामला साल 1997 में हांगकांग में आया था। यह अब तक दुनिया में चार बार बड़े पैमाने पर फैल चुका है। यह 60 से ज्यादा देशों में महामारी का रूप भी ले चुका है। 


✔️ 2003 से अब तक लगातार यह किसी न किसी देश में अपना असर दिखाता रहा है। अमेरिकी हेल्थ एजंसी (फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) ने कुछ साल पहले इसके लिए एक टीके के प्रारूप को मंजूरी दी थी, लेकिन अभी वह लोगों के लिए उपलब्ध नहीं है। । यह आमतौर पर पानी में रहने वाले पक्षियों में होता है, लेकिन ये पोल्ट्री फार्म में पलने वाले पक्षियों में भी आसानी से फैल सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक अभी तक ये सबूत नहीं मिले हैं कि पके हुए पोल्ट्री फूड से किसी इंसान को बर्ड फ्लू हो सकता है। 


✔️ यह विषाणु तापमान के प्रति संवेदनशील है और खाना पकाने के दौरान तेज आंच पर नष्ट हो जाता है। लिहाजा अनावश्यक रूप से खानपान को लेकर भयभीत होने की जरूरत नहीं है।



कुछ जरुरी बातें:-

✔️ इंसानों में बर्ड फ्लू का विषाणु आंख, नाक और मुंह के जरिए प्रवेश करता है। इस वजह से इसका बचाव यही है कि संक्रमित पक्षियों खासकर मरे हुए पक्षियों से दूर रहें । पके हुए पोल्ट्री फूड खाने से बर्ड फ्लू होने का भले कोई सबूत न हो, तो भी एहितयातन यह सलाह दी जाती है कि जब तक इस तरह के संक्रमण का खतरा बना हुआ है तब तक मांस और अंडा खाने से बचना चाहिए।


✔️ कोरोना की तरह बर्ड फ्लू के भी कई अलग-अलग स्ट्रेन होते हैं। हालांकि, इंसान से इंसान में इस विषाणु के पहुंचने का जोखिम बेहद कम है। एच5एन1 से संक्रमित पक्षी करीब 10 दिनों तक मल या लार के जरिए विषाणु फैलाते हैं। यह विषाणु किसी सतह के जरिए भी इंसानों को संक्रमित कर सकता है। लिहाजा, विशेषज्ञों की राय यह है कि आप पक्षियों से सीधे संपर्क में न आएं। उनकी बीट को न छुएं।


✔️ वे लोग जो पक्षियों के संपर्क में आते हैं, उन्हें बचाव के सारे तरीके कोरोना वाले ही अपनाने चाहिए। इसके लक्षण दिखने के बाद तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें, अस्पताल में दाखिल हो जाएं या खुद से एकांतवास में चले जाएं।

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