राष्ट्रीय प्रेस दिवस विशेष: "राष्ट्रपति राष्ट्र की आत्मा की अभिव्यक्ति है"
👉विश्व विद्यालय दिवस 3 मई को मनाया जाता है लेकिन 16 नवंबर को भारत में राष्ट्रीय राष्ट्रपति दिवस मनाया जाता है। भारत में राष्ट्रपति का इतिहास हज़ारों साल पुराना रहा है लेकिन हम अगर राष्ट्रपति के आधुनिक और स्पष्ट स्वरूप की बात करें तो 1780 में 'बंगाल यार्ड' भारत का पहला प्रिंट मीडिया था। जेम्स ऑगस्टस हिक्की ने इसे शुरू किया था, इसलिए उन्हें 'भारतीय राष्ट्रपति के नाम ' से भी जाना जाता है। 1789 में 'बॉम्बे हेराल्ड' देश का दूसरा लोकप्रिय पत्र था।
■ भारत में राष्ट्रपति का तंत्र: -
31 मार्च 2018 को regrar OF न्यूज़पेपर ऑफ इंडिया के पास 1000 से भी अधिक मीडिया पब्लिशिंग यूनिट्स रजिस्टर्ड था। भारतीय प्रेसतंत्र की यह संख्या भारत को विश्व का दूसरा बड़ा प्रेसतंत्र बनाती है।
भारत में 1600 से अधिक सॅटलाइट चैनल्स और 400 से अधिक न्यूज़ चैनल्स है। वर्तमान में भारत में 1000 से भी अधिक डेली हिंदी समाचार पत्र हैं और 250 से अधिक डेली अंग्रेजी समाचार पत्र हैं।
1927 में रेडियो प्रारम्भ हुआ। 1997 में प्रसार भारती की स्थापना हुई जो रेडियो को नियंत्रित करने वाली स्वायत्त संस्था है।
■ राष्ट्रपति कॉउंसिल ऑफ़ इंडिया क्या है?
भारत में प्रेस को नियंत्रित करने और राष्ट्रपति के अधिकारों की सुरक्षा के लिए 1966 में इसका गठन हुआ था। गयाया चेयरमैन सुप्रीम कोर्ट का रिटायर्ड जज होता है। इसके अलावा इसके 28 अतिरिक्त सदस्य होते हैं जिसमें से 20 सदस्य देश के प्रतिष्ठित मीडिया हाउसेस में से जाते हैं, 5 सदस्य लोकसभा और राज्यसभा से लिए जाते हैं और 3 सदस्य साहित्य, संस्कृति और विधि के क्षेत्र से चुने जाते हैं। वर्तमान में चंद्रमौली कुमार प्रसाद 2015 से काउंसिल के चेयरमैन है। यह इनका दूसरा शब्द है।
■ क्यों आवश्यक है स्वतंत्र एवं सजग प्रेस?
लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में प्रतिष्ठित प्रेस को जाना जाता है। स्वस्थ लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना के लिए स्वतन्त्र एवं सजग प्रेस का होना जरूरी है। अंग्रेजों के जमाने में वाइसराय लिटन के दौर में 1878 में 'वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट' पास किया था जो देश में केवल अंग्रेजी अखबारों को ही मान्यता देता था। जन विरोध के कारण लार्ड रिपन ने 1882 में इसे रद्द कर दिया था।
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक 1881 में मराठी भाषा में 'केसरी' अखबार प्रारम्भ किया था। अंग्रेजी हुकूमत इसके खिलाफ थी। कालांतर में तिलक की एक ट्रस्ट ने एक अंग्रेजी में एक 'मराठा' नामक अखबार को शुरू किया था।
प्रेस की महता की बात करें तो अमेरिका में तो आजकल राष्ट्रपति को चुनते ही ' नेशनल डिबेट' को देखकर है जो नामित राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के बीच होता है और करोड़ों लोग जिन्हें टी वी पर देखते हैं और हराने जिताने का मानस भी वहीं बना ले रहे हैं।
भारत में भी राष्ट्रपति के अधिकारों की सुरक्षा आवश्यक है। राष्ट्रपति को भी चौथे स्तंभ को मजबूती से उठाए जाने के लिए लोकतांत्रिक मूल्यों का निष्पक्षता से निर्वाचन करना होगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Please do not enter any spam link in the comment box