पोंग डैम लेक वन्यजीव अभयारण्य
(Pong Dam Lake Wildlife Sanctuary)
▪️ हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित “पोंग डैम लेक वन्यजीव अभयारण्य” बर्ड फ्लू की वजह से करीब सौ प्रवासी पक्षियों के मरने के कारण चर्चा में रहा है। वर्ष 1975 में ब्यास नदी पर बनी इस लेक को पोंग जलाशय या महाराणा प्रताप सागर भी कहा जाता है।
▪️ बर्ड फ्लू इन्फ्लुएंजा टाइप A वायरस से होने वाली अत्यधिक संक्रामक वायरल बीमारी है। जिसे एवियन इन्फ्लुएन्जा भी कहा जाता है। यह सामान्यत: पॉल्ट्री बर्ड्स को प्रभावित करता है। इस वायरस के बहुत सारे स्ट्रेन हैं जिनमें से कुछ कम तो कुछ गंभीर व खतरनाक होते हैं।
▪️ वर्ष 1983 में हिमाचल सरकार द्वारा पूरे जलाशय को वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था। 1994 में भारत सरकार ने इसे ‘राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि’ घोषित किया। पोंग बाँध झील को नवंबर 2002 में रामसर स्थल के रूप में घोषित किया गया।
▪️ यह अभयारण्य 54 कुलों के पक्षियों की लगभग 220 प्रजातियों की मेज़बानी करता हैं। सर्दियों के दौरान हिंदुकुश हिमालय एवं साइबेरिया से प्रवासी पक्षी इस अभयारण्य में आते हैं। यह अभयारण्य क्षेत्र उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जंगलों से आच्छादित है, जो बड़ी संख्या में भारतीय वन्यजीवों को आश्रय देता हैं।
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